tag:blogger.com,1999:blog-5388978390083705858.post1675889415727887343..comments2023-10-16T03:32:48.816-07:00Comments on प्रेम प्रभात (लेख संग्रह): यथार्थ में प्रेमरूपमhttp://www.blogger.com/profile/15554760244572316243noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5388978390083705858.post-31629635509329030602010-06-30T07:50:10.713-07:002010-06-30T07:50:10.713-07:00अपने दृष्टी कोण को प्रेमी जरुर बनाया जा सकता है ...अपने दृष्टी कोण को प्रेमी जरुर बनाया जा सकता है ,अर्थात प्रेमी बनकर उन्नत हों जाना संभव है ,क्योंकि प्रेमी का अर्थ है कायनात में पाए जाने वाले हर एक अस्तित्व से प्रेम की संवेदना के जरिये जुड़ जाना , इस तरह से हर एक प्रेमी श्रेष्ट है , ..<br /><br />Bahut sahi likha aapne. <br /><br />I admire the depth in your writings.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5388978390083705858.post-964426891220784162010-06-07T10:37:18.700-07:002010-06-07T10:37:18.700-07:00प्रेम करने के लिए कुछ सोंचने की आवश्यकता नहीं !!प्रेम करने के लिए कुछ सोंचने की आवश्यकता नहीं !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.com